Gayatri Chalisa Pdf |देवी गायत्री चालीसा हिंदी

Gayatri Chalisa Pdf: गायत्री चालीसा एक प्रार्थना है जो गायत्री माता को समर्पित है। ये प्रार्थना हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है और गायत्री माता की महिमा व्यक्त करती है। गायत्री माता को सर्वशक्तिमान, सर्वसमर्थ और ज्ञान की देवी माना जाता है। गायत्री चालीसा के पथ से व्यक्ति अपने जीवन में ज्ञान, शक्ति और शांति की प्राप्ति की कामना करता है। गायत्री चालीसा के मूल श्लोकों में गायत्री माता का वर्णन है, जैसी उनकी सुन्दरता, शक्ति और दिव्य रूप। हर दोहरा गायत्री माता के गुण, महत्व और कृपा को व्यक्त करता है। क्या प्रार्थना के द्वार व्यक्ति अपने मन, वचन और कर्म को पवित्रता से भरा जीवन व्यतीत करने का संकल्प लेता है। गायत्री चालीसा का पथ करते समय व्यक्ति अपने मन में शुद्ध भावनाओं को उभार कर साधना की दिशा में अग्रसर होता है। ये प्रार्थना आदमी, बुद्धि और आत्मा की शुद्धि और विकास में मदद करता है। गायत्री माता का ध्यान करके व्यक्ति अपने जीवन को ज्ञान और विवेक की दिशा में स्थिर रखता है। गायत्री चालीसा के पथ से व्यक्ति को ज्ञान और प्रगति की दिशा में मार्गदर्शन मिलता है। ये प्रार्थना मनुष्य को साहस, समर्थ और विवेक की प्राप्ति में सहायक होती है। इसमे गायत्री माता की कृपा एवं अनुग्रह की मांग गई है, जो व्यक्ति जीवन में उचित दिशा और उद्देश्य प्रदान करता है। समग्र रूप से कहा जा सकता है कि गायत्री चालीसा एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो व्यक्ति को जीवन में सद्बुद्धि और सदाचार की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती है। क्या प्रार्थना को

ह्रींश्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा जीवन ज्योति प्रचंड॥
शांति कांति जागृत प्रगतिरचना शक्ति अखंड ॥1॥

जगत जननी मंगल करनि गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम ॥2॥

भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी ।
गायत्री नित कलिमल दहनी ॥॥

अक्षर चौबीस परम पुनीता ।
इनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता ॥॥

शाश्वत सतोगुणी सत रूपा ।
सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥॥

हंसारूढ श्वेतांबर धारी ।
स्वर्ण कांति शुचि गगन-बिहारी ॥॥

पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥॥

ध्यान धरत पुलकित हित होई ।
सुख उपजत दुख दुर्मति खोई ॥॥

कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।
निराकार की अद्भुत माया ॥॥

Gayatri Chalisa Pdf
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तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।
तरै सकल संकट सों सोई ॥॥

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥॥

तुम्हरी महिमा पार न पावैं ।
जो शारद शत मुख गुन गावैं ॥॥

चार वेद की मात पुनीता ।
तुम ब्रह्माणी गौरी सीता ॥॥

महामंत्र जितने जग माहीं ।
कोउ गायत्री सम नाहीं ॥॥

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।
आलस पाप अविद्या नासै ॥॥

सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।
कालरात्रि वरदा कल्याणी ॥॥

ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ॥॥

तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥॥

महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
जय जय जय त्रिपदा भयहारी ॥॥

पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।
तुम सम अधिक न जगमें आना ॥॥

तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेसा ॥॥

जानत तुमहिं तुमहिं व्है जाई ।
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥॥

तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।
माता तुम सब ठौर समाई ॥॥

ग्रह नक्षत्र ब्रह्मांड घनेरे ।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥॥

सकल सृष्टि की प्राण विधाता ।
पालक पोषक नाशक त्राता ॥॥

मातेश्वरी दया व्रत धारी ।
तुम सन तरे पातकी भारी ॥॥

जापर कृपा तुम्हारी होई ।
तापर कृपा करें सब कोई ॥॥

मंद बुद्धि ते बुधि बल पावें ।
रोगी रोग रहित हो जावें ॥॥

दरिद्र मिटै कटै सब पीरा ।
नाशै दुख हरै भव भीरा ॥॥

गृह क्लेश चित चिंता भारी ।
नासै गायत्री भय हारी ॥॥

संतति हीन सुसंतति पावें ।
सुख संपति युत मोद मनावें ॥॥

भूत पिशाच सबै भय खावें ।
यम के दूत निकट नहिं आवें ॥॥

जो सधवा सुमिरें चित लाई ।
अछत सुहाग सदा सुखदाई ॥॥

घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥॥

जयति जयति जगदंब भवानी ।
तुम सम ओर दयालु न दानी ॥॥

जो सतगुरु सो दीक्षा पावे ।
सो साधन को सफल बनावे ॥॥

सुमिरन करे सुरूचि बडभागी ।
लहै मनोरथ गृही विरागी ॥॥

अष्ट सिद्धि नवनिधि की दाता ।
सब समर्थ गायत्री माता ॥॥

ऋषि मुनि यती तपस्वी योगी ।
आरत अर्थी चिंतित भोगी ॥॥

जो जो शरण तुम्हारी आवें ।
सो सो मन वांछित फल पावें ॥॥

बल बुधि विद्या शील स्वभाउ ।
धन वैभव यश तेज उछाउ ॥॥

सकल बढें उपजें सुख नाना ।
जे यह पाठ करै धरि ध्याना ॥

यह चालीसा,भक्ति युत पाठ करै जो कोई ।
तापर कृपा प्रसन्नता गायत्री की होय ॥

देवी गायत्री कौन हैं? [Gayatri Chalisa Pdf]

देवी गायत्री एक महत्वपूर्ण देवी है हिंदू धर्म में। गायत्री मंत्र जो हम रोज़ सुनते हैं, वो उनके नाम पर ही है। गायत्री मंत्र में प्रकट हुई विद्या को हम शक्ति, ज्ञान और सुंदरता के प्रतीक मानते हैं। देवी गायत्री को सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती के रूप में भी समझा जाता है। उनका नाम “गायत्री” है, जो ‘गायनतम त्रायते इति गायत्री’ से आता है, अर्थ जो हमें गुनगुनाने से सुरक्षा प्रदान करता है, वैसा ही उनका प्रभाव है। उनकी उपासना से हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है और मनुष्य की शांति मिलती है। गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति में सद्बुद्धि और शक्ति का विकास होता है। उनका ध्यान करके हम अपने जीवन को उज्जवल बना सकते हैं।

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हिन्दू धर्म में चालीसा का महत्व

चालीसा एक प्रमुख भक्ति ग्रंथ है जो हिंदू धर्म में महत्तव रखता है। ये ग्रंथ हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित किया गया है और उनकी महिमा को व्यक्त करता है। चालीसों में लगभाग 40 चौपाइयों का प्रतिनिधीत्व होता है जो श्लोकों की एक माला को प्रस्तुत करता है। चालीसा पढ़ने से श्रद्धा और भक्ति का अनुभव होता है। भक्त अपने इष्ट देवी-देवता की उपासना में चालीसा का पथ करते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। चालीसा पढ़ने से मन की शांति और अंतरिक्ष आनंद प्राप्त होता है। इसके अलावा, चालीसा पढ़ने से व्यक्ति को आत्मिक शुद्धि और सात्विकता का अनुभव होता है। ये ग्रंथ भक्ति और प्रेम के भाव को प्रकट करता है और भक्तों को धार्मिक मार्ग पर स्थिर रखता है। चालीसा के पथ से मनुष्य को शक्ति और साहस का अनुभव होता है। इस भक्तों का मन सजग और जागरूक हो जाता है और वे जीवन के विपरीत परिस्थियों में भी हिम्मत और समर्थ का अभ्यास करते हैं। सामान्य तौर पर, चालीसा का पथ संकट, दुख और परेशानियों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए किया जाता है। भक्तों को इसका विश्वास होता है कि उनके इष्ट देवी-देवता उन्हें संकट से बचाएंगे और उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। अंत में, चालीसा एक परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है जो हिंदू समाज में पवित्र है। इसका पथ करते समय भक्तों का मनुष्य और अंतरिक्ष अस्तित्व पवित्र और निर्दोष बन जाता है, जो उन्हें धार्मिक मार्ग पर स्थिर रखता है।

देवी गायत्री चालीसा को पढ़ने का तरीका क्या है

गायत्री चालीसा के पथ में अनेक धार्मिक अर्थ और महत्व छुपी हुई है। ये चालीसा माँ गायत्री की महिमा और शक्ति को व्यक्त करती है। गायत्री चालीसा को मनुष्य के जीवन में शुभ और समृद्धि की प्राप्ति होती है। क्या चालीसा में मां गायत्री का रूप, गुण और कृपा का वर्णन किया गया है। गायत्री चालीसा से मनुष्य को ज्ञान, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। इससे मनुष्य की आत्मा शुद्ध और पवित्र होती है। गायत्री चालीसा के पथ से मनुष्य के दुख और कष्टों का निवारण होता है और सुख-शांति का अनुभव होता है। क्या चालीसा में माँ गायत्री का स्तवन किया गया है और उनके पवित्र नामों का गुणानुवाद किया गया है। ये चालीसा मनुष्य को भक्ति और प्रेम में भर देता है और उन्हें माँ गायत्री की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। गायत्री चालीसा को नियम से पथ बनाने से मनुष्य के जीवन में उच्च कोटि का सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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