Durga Chalisa PDF Hindi |श्री दुर्गा चालीसा पाठ

Durga Chalisa Pdf: माँ दुर्गा चालीसा पीडीएफ हिंदी में उपलब्ध है, जिसमें आपको 40 पंक्तियों का संग्रह है। इस चालीसा को पढ़कर माँ श्री दुर्गा के भक्तों को स्वस्थ, समृद्धि भरा और सफल जीवन मिलता है। श्री दुर्गा चालीसा रोज़ पढ़ने से 5 मुख्य लाभ हो सकते हैं। इसके माध्यम से हमें माता दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद का अनुभव होता है, जिससे हमारा जीवन सुखमय बन सकता है। यह चालीसा भक्ति और ध्यान का एक अद्वितीय साधना है, जो हमें मानवता के मूल्यों का समर्पण करने के लिए प्रेरित करती है। इसका पाठ करने से हमारा मानसिक स्थिति भी मजबूत हो सकता है और हम अपनी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो सकते हैं। अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम इसे सही भावना के साथ पढ़ें ताकि हमें इससे पूरा लाभ मिल सके।

  • जब हम मन को शांति से भर लेते हैं और दिमाग में ऊर्जा बढ़ती है, तो हमें अच्छा लगता है।
  • माँ दुर्गा की कृपा से हमें संघर्ष करने की शक्ति मिलती है, जिससे हम अपने मुश्किलों को पार कर सकते हैं।
  • जब हम भगवान की भक्ति करते हैं, तो हमारा मन भयमुक्त हो जाता है और हम शान्ति से भर जाते हैं।
  • हमारे शरीर की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होता है जब हम नियमित रूप से योग और प्राणायाम करते हैं।
  • जब हम अपने जीवन में प्रवेश करने वाले सभी कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो हमारी जिंदगी में खुशियाँ बढ़ती हैं और हमारा मन प्रसन्न रहता है।

श्री दुर्गा चालीसा लिरिक्स ( Durga Chalisa Lyrics )

॥ श्री दुर्गा चालीसा ॥

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

Durga Chalisa PDF Hindi |श्री दुर्गा चालीसा पाठ

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुँलोक में डंका बाजत॥

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तन बीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥

आभा पुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो।
काम क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपु मुरख मोही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जियऊं दया फल पाऊं।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

श्री दुर्गा चालीसा की महत्वपूर्ण जानकारी

श्री दुर्गा चालीसा एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक पाठ है जो माता दुर्गा को समर्पित है। इसमें 40 श्लोक हैं, जिन्हें पढ़कर भक्तिभाव बढ़ता है। यह पाठ दुर्गा माता की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का सुनहरा तरीका है। इसमें माता दुर्गा की महिमा, शक्तियां और उनके भक्तों पर कृपा करने की प्रार्थना की जाती है। श्री दुर्गा चालीसा का पाठ भक्तों को भयहीनता, सुख-शांति और मानवीय समृद्धि की प्राप्ति का मार्ग प्रदान करता है

माँ दुर्गा चालीसा हिंदू धर्म की एक प्रार्थना है, जिसमें माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। यह बहुत पुरानी है और हिंदू समुदाय में महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस चालीसा को पढ़ने से माँ दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है।

श्री दुर्गा चालीसा में माँ दुर्गा की सभी रूपों की महिमा बताई गई है। यह चालीसा नौ रूपों की प्रशंसा करती है, जैसे कि चंडी, भद्रकाली, सिंहवाहिनी, ब्रह्मचारिणी, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, महागौरी और सिद्धिदात्री। इन रूपों में माँ की शक्ति का विवरण है।

श्री दुर्गा चालीसा को नित्य पठने से मन को शुद्धि मिलती है और बुराईयों को दूर करने में मदद करती है। यह चालीसा भक्ति और शक्ति का प्रतीक है, जो माँ दुर्गा की शक्ति को महसूस कराती है। श्रद्धा से पढ़ने से व्यक्ति को सकारात्मक विचार आते हैं और उसे नए उच्चाईयों की ऊँचाईयों की ओर प्रेरित करती है।

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इस चालीसा को पढ़ने से, माँ दुर्गा ध्यान में आकर भक्त को सुख और शांति देती हैं और सारे कष्टों से मुक्ति प्रदान करती हैं। जो इसे नियमित रूप से पढ़ता है, उसे अधिक आत्मविश्वास और बल मिलता है, जिससे उसका जीवन सुखद और सफल होता है।

जय अम्बे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिव री।। जय अम्बे गौरी,…।।

मांग सिंदूर बिराजत,
टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रबदन नीको।। जय।।

कनक समान कलेवर,

रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,

कंठन पर साजै।। जय।।

केहरि वाहन राजत,

खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर मुनिजन सेवत,

तिनके दुःखहारी।। जय।।

कानन कुण्डल शोभित,

नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर,

राजत समज्योति।। जय।।

शुम्भ निशुम्भ बिडारे,

महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,

निशिदिन मदमाती।। जय।।

चण्ड-मुण्ड संहारे,

शौणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे,

सुर भयहीन करे।। जय।।

ब्रह्माणी, रुद्राणी,

तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी,

तुम शिव पटरानी।। जय।।

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं,

नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा,

अरू बाजत डमरू।। जय।।

तुम ही जग की माता,

तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःख हरता,

सुख सम्पत्ति करता।। जय।।

भुजा चार अति शोभित,

खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत,

सेवत नर नारी।। जय।।

कंचन थाल विराजत,

अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत,

कोटि रतन ज्योति।। जय।।

श्री अम्बेजी की आरती,

जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी,

सुख-सम्पत्ति पावै।। जय।।

श्री दुर्गा चालीसा पूजा पाठ की विधि

ही तरीके से विधि और नियमों के साथ पूजा करने से, आपकी भक्ति निश्चित ही माँ दुर्गा तक पहुंचेगी। [ Durga Chalisa PDF ]

यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम माँ दुर्गा की पूजा को सही तरीके से करें और सभी विधियों और नियमों का पालन करें। इससे हमारी भक्ति माँ दुर्गा तक जरूर पहुंचेगी और हमें उनका आशीर्वाद मिलेगा।

पूजा का आयोजन सबसे सुन्दरता से करने के लिए, सुबह के समय जल्दी उठें और एक शुद्धिवादी स्नान करें। फिर, सरल और साफ कपड़े पहनकर, एक छोटी सी लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। उस पर, आपकी आस्था का प्रतीक, श्री दुर्गा माँ की प्रतिमा को स्थापित करें। उसके सामने दिया, धूप और अगरबत्ती जलाएं।

फिर, माँ के सामने सुंदर फूलों और माला के साथ पूजा करें, उनसे चढ़ाएं और आपकी मन की बातें कहें। इसके बाद, श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आपकी पूजा पूर्ण होगी और आपको आनंद और शांति का अहसास होगा।

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