Ganesh Chalisa PDF |गणेश चालीसा PDF

गणेश चालीसा एक प्रार्थना है जो भगवान गणेश के गुणों और महिमा को व्यक्त करती है। ये चालीसा भक्तों के हृदय को पवित्र और शक्तिशाली बनाती है। गणपति, जिसे हम प्यार करते हैं “गणेश जी” या “गणपति बप्पा” भी कहते हैं, हिंदू धर्म के प्रमुख देवी-देवताओं में से एक हैं। उनका नाम लेते ही हमारे मन में एक अलग ही प्रकाश और शांति का अनुभव होता है।

गणेश चालीसा का महत्व

गणेश चालीसा की महिमा अनंत है. ये चालीसा गणपति जी के पविगणेश चालीसा का महत्वत्र नाम, गुन और लीलाओं को याद करने और उनकी कृपा को प्राप्त करने का माध्यम है। हर श्लोक गणपति जी के गुण और महत्व को प्रकाशित करता है। क्या चालीसा के पथ से भक्तों को ज्ञान, शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है। गणेश चालीसा का पथ करके हमारा मन शुद्ध और निर्मल हो जाता है और हमारा जीवन सुखमय और सफलता से भरा हो जाता है।

गणेश चालीसा का पथ कैसे बनाएं

गणेश चालीसा का पाठ करना बहुत ही सरल है। क्या चालीसा को रोज़ना एक निश्चित समय पर पढ़ना चाहिए। गणेश चालीसा का पाठ करने से पहले, हमें अपने मन को शुद्ध करके गणपति जी की आराधना करनी चाहिए। फिर गणेश चालीसा का पथ शुरू करना चाहिए। जब हम चालीसा का पथ करते हैं, तब हमें गणपति जी की भक्ति, प्रेम और श्रद्धा से भरा महसुस होता है।

गणेश चालीसा के लाभ

गणेश चालीसा के पथ से हमारे जीवन में अनेक प्रकार के लाभ मिलते हैं। ये लाभ है:

मन की शांति:

गणेश चालीसा का पाठ करने से हमारे मन में शांति और सुकून का अनुभव होता है। विघ्न दूर करने की शक्ति: गणेश जी हमें विघ्नों से मुक्ति दिलाने की शक्ति प्रदान करते हैं। सफ़लता की प्राप्ति: गणेश चालीसा का पथ बनाने से हमारा जीवन अनेक प्रकार का सफ़लता से भरा होता है। बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि: गणपति जी हमें बुद्धि और ज्ञान प्रदान करते हैं, जो हमारे जीवन में उम्र बढ़ाने में मदद करता है। धन की वृद्धि: गणेश चालीसा का पथ करने से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है। गणेश चालीसा हमारे जीवन को पवित्र और सुखमय बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है। क्या प्रार्थना को श्रद्धा भाव से पढ़ने से हमें गणपति जी की कृपा प्राप्त होती है और हमारा जीवन खुशियों से भरा रहता है। गणेश चालीसा हमारे जीवन में समृद्धि, शांति और मंगल प्रदान करता है। इसलिए, हर भक्त को गणेश चालीसा का नियम पथ बनाना चाहिए। गणपति बप्पा मोरया!

Ganesh Chalisa ke Labh

गणेश चालीसा के पथ से हमारे जीवन में अनेक प्रकार के लाभ मिलते हैं। ये लाभ है:

  1. मन की शांति: गणेश चालीसा का पाठ करने से हमारे मन में शांति और सुकून का अनुभव होता है। विघ्न दूर करने की शक्ति: गणेश जी हमें विघ्नों से मुक्ति दिलाने की शक्ति प्रदान करते हैं।
  2. सफ़लता की प्राप्ति: गणेश चालीसा का पथ बनाने से हमारा जीवन अनेक प्रकार का सफ़लता से भरा होता है।
  3. बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि: गणपति जी हमें बुद्धि और ज्ञान प्रदान करते हैं, जो हमारे जीवन में उम्र बढ़ाने में मदद करता है।
  4. धन की वृद्धि: गणेश चालीसा का पथ करने से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।

गणेश चालीसा हमारे जीवन को पवित्र और सुखमय बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है। क्या प्रार्थना को श्रद्धा भाव से पढ़ने से हमें गणपति जी की कृपा प्राप्त होती है और हमारा जीवन खुशियों से भरा रहता है। गणेश चालीसा हमारे जीवन में समृद्धि, शांति और मंगल प्रदान करता है। इसलिए, हर भक्त को गणेश चालीसा का नियम पथ बनाना चाहिए। गणपति बप्पा मोरया!

Ganesh Chalisa गणेश चालीसा हमारे जीवन को पवित्र और सुखमय बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है। क्या प्रार्थना को श्रद्धा भाव से पढ़ने से हमें गणपति जी की कृपा प्राप्त होती है और हमारा जीवन खुशियों से भरा रहता है। गणेश चालीसा हमारे जीवन में समृद्धि, शांति और मंगल प्रदान करता है। इसलिए, हर भक्त को गणेश चालीसा का नियम पथ बनाना चाहिए। गणपति बप्पा मोरया

जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल |
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ||
अर्थ : हे सद्गुणों के सदन भगवान श्री गणेश आपकी जय हो कवि आपको कृपालु बताते हैं कष्टों का हरण कर सब का कल्याण करते हो माता पार्वती के लाडले गणेश जी महाराज आपकी जय हो ! [Ganesh Chalisa PDF]
|| चौपाई ||
जय जय जय गणपति गणराजू |
मंगल भरण करण शुभः काजू ||
अर्थ : हे देवताओं के स्वामी देवताओं के राजा हर कार्य को शुभ कल्याणकारी करने वाले भगवान श्री गणेश जी आपकी जय हो जय हो जय हो
जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥
अर्थ : घर घर सुख प्रदान करने वाले हे हाथी से भी विशालकाय शरीर वाले श्री गणेश भगवान आपकी जय हो श्री गणेश आप समस्त विश्व के विनायक यानी सृष्टि के नेता हो आप ही बुद्धि के विधाता हैं बुद्धि देने वाले हैं |
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहाव
ना ।तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥
अर्थ : हाथी सुर समूह हुआ आपका नाक सुहावना है पवित्र है आपके मस्तक पर तिलक रूपी 3 रेखा भी मन को भा जाती है अर्थात आकर्षक है |
राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥
अर्थ : आपकी छाती पर एक सुंदर मोतियों की माला है, आपके सिर पर शानदार सोने का मुकुट है, और आपकी आंखें भी बहुत बड़ी और खूबसूरत हैं।
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
अर्थ : आपके हाथ में एक पुस्तक है जिसमें कुठार और त्रिशूल हैं। आपको मोदक का भोग दिया जाता है और सुगंधित फूल भी चढ़ाए जाते हैं।
सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
अर्थ : पीले रंग के सुंदर वस्त्र आपके तन पर सुसज्जित हैं आपके चरण पादुका ए भी इतनी आकर्षक है कि ऋषि-मुनियों का मन भी उसे देखकर खुश हो जाता है |
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥
अर्थ : हे भगवान शिव पुत्र वे षडानन अर्थात कार्तिकेय के भ्राता आप धन्य हैं माता पार्वती के पुत्र आपकी ख्याति समस्त जगत में फैली है |
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥
अर्थ : रिद्धि सिद्धि आपकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हैं और वे आपके साथ हमेशा हैं। वे आपके घर के द्वार पर आपके वाहन की रक्षा करते हैं, और यह बिल्कुल एक मूषक जैसा होता है जो वहाँ खड़ा रहता है, तैयार सदा आपकी सुरक्षा के लिए।
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥
अर्थ : हे प्रभु आप की जन्म कथा कहना वह सुनना बहुत ही शुभ वे मंगलकारी है
एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥
अर्थ : एक समय गिरिराज कुमारी यानी माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए भारी तप किया
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥
अर्थ : जब उन्होंने अपना तप पूरा कर लिया, तो उन्होंने खुद को ब्राह्मण के रूप में प्रकट किया और वहां पहुँचे।
अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अर्थ : आपको अतिथि मानकर माता पार्वती ने आपके अनेक प्रकार से सेवा की
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
अर्थ : जब आपने खुश होकर अपनी माँ पार्वती को एक विशेष उपहार दिया। [ Ganesh Chalisa Lyrics Pdf ]  
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥
अर्थ : आपने कहा कि हे माता अपने पुत्र प्राप्ति के लिए जो तब किया है उसके फल स्वरुप आपको बहुत ही बुद्धिमान बालक की प्राप्ति होगी और बिना गर्भधारण किए इसी समय आपको पुत्र मिलेगा
गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥
अर्थ : जो सभी देवताओं का नायक कहेलायेगा मनोविज्ञान का निर्धारण करने वाला होगा और समस्त जगत भगवान के प्रथम रूप में जिसकी पूजा करेगा
अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥
अर्थ : इतना कहकर आप अन्तर ध्यान हो गए और पालने में बालक के रूप में प्रकट हुए
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥
अर्थ : माता पार्वती ने आपको देखा और उन्होंने आपके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान देखी। उन्हें बहुत ही खुशी हुई और वे बोलीं, “बेटा, आपका चेहरा बहुत ही सुंदर है।” इस पर आपने रोना शुरू कर दिया। माता पार्वती ने आपको संबोधित करते हुए कहा, “मेरे बच्चे, कृपया मत रोओ। तुम्हारी सूरत में मेरी भी छवि नहीं दिख रही है, लेकिन तुम मेरे दिल के बहुत क़रीब हो।”
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
अर्थ : सभी मगन होकर खुशियां मनाने लगे नाचने लगे देवता भी आकाश से फूलों की वर्षा करने लगे
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
अर्थ : भगवान शंकर माता उमा दान करने लगे देवता ऋषि मुनि सब आप के दर्शन करने के लिए आने लगे
लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥
अर्थ : जब लोग आपको देखते हैं, तो सभी को बहुत खुशी होती है। आपकी मुस्कान ने शनिदेव को भी आपको देखने के लिए प्रेरित किया है
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
अर्थ : लेकिन वह मन ही मन घबरा रहे थे दरअसल सनी को अपनी पत्नी से श्राप मिला हुआ था की जिस किसी भी बालक पर अपनी दृष्टि डालेंगे उसकी सिर धड़ से अलग होकर आसमान में उड़ जाएगा इसलिए शनिदेव बालक को देखना नहीं चाह रहे थे
गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥
अर्थ : देखकर शनि देव को ऐसे देखते हुए, माता पार्वती नाराज हो गईं। उन्होंने शनि देव से कहा, “तुम हमारे यहां बच्चे आने से खुश नहीं हो, ऐसा क्यों?
कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥

अर्थ : इसमें शनि भगवान ने कहा कि मैं चिंतित हूं कि अगर मैं बालक को दिखा दूंगा, तो आप कुछ बुरा कर सकती हैं।
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥
अर्थ : लेकिन शनिदेव की बातों पर माता पार्वती को विश्वास नहीं हुआ माता पार्वती ने भगवान शनि को बालक को देखने को कहा
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
अर्थ : जब शनिदेव ने बच्चे पर देखा, तो उसका सिर बिना किसी ठोकर के आकाश में उड़ गया।
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥
अर्थ : माता पार्वती ने अपने बेटे को जब उसका सिर अलग हो गया, तो उन्होंने बहुत दुखी होकर उसके सामने गिर पड़ी। उस समय की स्थिति में माता पार्वती को इतना दुःख हुआ कि वह बेहोश हो गईं। इस दर्दनाक पल का विवरण करना मुश्किल है, क्योंकि उस समय की भावनाएं शब्दों में व्यक्त नहीं की जा सकतीं।
हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥
अर्थ : इसके बाद पूरे कैलाश पर्वत पर हाहाकार मच गया शनिदेव ने शिव पार्वती के पुत्र को देखकर नष्ट कर दिया
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥
अर्थ : उस वक्त, भगवान विष्णु ने गरुड़ के साथ सवार होकर कैलाश पर्वत पर पहुंचे। वहां उन्होंने अपने सुंदरशन चक्र का उपयोग करके एक हाथी का सिर काटकर साथ ले आए।
बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
अर्थ : हाथी के छोटे बच्चे का सिर बालक के छाती पर रख दिया गया। उसके बाद, भगवान शंकर ने विशेष मंत्रों का पाठ करके उसमें प्राण डाले।
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥
अर्थ : उसी समय भगवान शंकर ने आपका नाम गणेश रखा और वह वरदान दिया कि पूरे संसार में सबसे पहले आपकी पूजा की जाएगी और भी बाकी देवताओं ने सभी बुद्धि सहित अनेक वरदान दिए
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
अर्थ : जब भगवान शंकर ने कार्तिकेय और आपकी बुद्धि को जाँचा, तो उन्होंने पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाने को कहा।
चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥
अर्थ : आदेश होते ही बिना सोचे कार्तिकेय पूरी पृथ्वी की चक्कर लगाने निकल पड़े लेकिन आपने अपनी बुद्धि से इसका उपाय सोचा
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
अर्थ : आपने अपने माता पिता के पैर छूकर उनके ही सात चक्कर लगाए
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥
अर्थ : इस तरह आपकी बुद्धि व श्रद्धा को देखकर भगवान शिव बहुत खुश हुए और देवताओं ने भी आसमान से फूलों की वर्षा की
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥
अर्थ : ये भगवान श्री गणेश आपकी बुद्धि और महिमा की बड़ी-बड़ी बातें हैं। उनका गुणगान हजारों मुखों से किया जाए, तो भी कम होगा।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
अर्थ : हे प्रभु मैं तो मूर्ख हूं पापी हूं दुखिया हूं मैं किस विधि से आपकी बिना आपकी प्रार्थना करो
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥
अर्थ : हे प्रभु आपका दास राम सुंदर आपका ही सुमिरन करता है इसकी दुनिया तो प्रयाग का ककरा गांव है जहां पर दुर्वासा जैसे ऋषि हुए हैं
अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥38॥
अर्थ : भगवान, अब हम दीन-दुखियों पर कृपा करें और अपनी शक्ति और भक्ति को हमें दें।

Ganesh Chalisa PDF |गणेश चालीसा PDF

Ganesh Chalisa PDF
Ganesh Chalisa PDF (image credit to social media)

|| दोहा ||

श्री गणेश यह चालीसा,पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै,लहे जगत सन्मान ॥

अर्थ : जो भी भक्त यह Ganesh Chalisa का सच्चे मन और ध्यान पूर्वक पाठ करते हैं, उनके घर में हर रोज सुख शांति रहती है ! उनके घर-संसार में मंगलमय माहौल बना रहता है और उसकी अपने समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है !

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो,मंगल मूर्ती गणेश ॥

अर्थ : हजारों संबंधों के बावजूद, ऋषि पंचमी या गणेश चतुर्दशी के दिन, जो कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी होती है, उस दिन भगवान श्री गणेश की चालीसा पूरी होती है।

गणेश चालीसा के बारे में और भी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप विकिपीडिया पर जा सकते हैं।

Read also: Mahakal Chalisa PDF

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