Mahakal Chalisa PDF |महाकाल चालीसा इन हिंदी

Mahakal Chalisa PDF: महाकाल चालीसा, एक प्रार्थना है, जो भगवान शिव के परम भक्त और उनकी शक्ति का अनुभव करते हैं, उनकी स्तुति और उनके गुणों की महिमा गाते हैं। ये चालीसा महाकाल के दिव्य रूप, उसके कृत्यों और उनकी शक्तियों की गहना तक पहचान है।

1. जय महाकाल: महाकाल चालीसा का प्रारम्भ महादेव के जय गुणगान से होता है। यहां उनकी महिमा और शक्ति का बखान किया जाता है। महाकाल को प्रथम पूज्य माना जाता है, जो सृष्टि के आदि और अंत हैं।

2. अवधूत स्वरूप:महाकाल का वर्णन उनके अवधूत स्वरूप में किया गया है। उनका विराट रूप, जो संसार के भ्रम और माया से परे है, उनकी अनंत शक्ति और ज्ञान की प्रस्तुति करता है।

3. नमो नमो शिवाय: चालीसा में महाकाल के अनंत गुणों का बखान किया जाता है। उनकी महिमा को समझने के लिए ‘नमो नमो शिवाय’ का मंतर किया गया है, जो उनकी पवित्रता और शक्ति को प्रदर्शित करता है।

4. त्रिलोक के नाथ:महाकाल त्रिलोक के नाथ हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में प्रकट होते हैं। उनकी सभी लीलाओं का वर्णन किया गया है, जो सृष्टि का संचालन और संघर्ष करते हैं।

5. भक्ति की प्रेरणा:महाकाल चालीसा भक्ति की प्रेरणा देती है। ये बताता है कि महादेव के चरणों में ही मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी भक्ति से सभी कष्ट दूर होते हैं।

6. जय जय शम्भू:चालीसा में ‘जय जय शम्भू’ का मंतर महत्पूर्ण है, जो महाकाल की शक्ति और पवित्रता को प्रदर्शित करता है। इसकी महिमा की स्तुति होती है।

7. संकट हरण:महाकाल चालीसा संकट हरण का उपाय भी है। भक्त जिस भी संकट में फँस गया हो, महादेव की कृपा से उसका समाधान होता है और सभी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं।

8. सर्वव्यापि:महाकाल सर्वव्यापि है, जो हर एक भक्त के अंतःकरण में विराजमान होते हैं। उनकी दिव्य शक्ति और कृपा से सभी कष्ट दूर होते हैं और भक्त उनकी आनंदमय लीला का अनुभव करते हैं।

9. प्रभु की आराधना:चालीसा में महाकाल की आराधना का महत्व बताया गया है। भक्त को उनके चरणों में श्रद्धा और प्रेम रख कर उनकी स्तुति करनी चाहिए, जो मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होती है।

10. जय महाकाल: महाकाल चालीसा के अंत में फिर से महादेव की जय गुंजन होती है। इस महाकाल के भक्त उनकी अनंत महिमा का अनुभव करते हैं और उनकी कृपा से संतुष्टि होती है। महाकाल चालीसा एक पवित्र प्रार्थना है, जो भगवान शिव को गुण और महिमा प्रदान करता है। इसे पढ़कर भक्त उनके पवित्र चरणों में श्रद्धा और प्रेम रखते हैं और उनकी कृपा से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। जय महाकाल!

॥ दोहा ॥

श्री महाकाल भगवान की महिमा अपरम्पार,

पूरी करते कामना भक्तों की करतार।

विद्या-बुद्धि-तेज-बल-दूध-पूत-धन-धान,

अपने अक्षय कोष से भगवान करो प्रदान॥

॥ चौपाई ॥

जय महाकाल काल के नाशक।

जय त्रिलोकपति मोक्ष प्रदायक॥

मृत्युंजय भवबाधा हारी।

शत्रुंजय करो विजय हमारी॥

आकाश में तारक लिंगम्।

 पाताल में हाटकेश्वरम्॥

भूलोक में महाकालेश्वरम्।

सत्यम्-शिवम् और सुन्दरम्॥

क्षिप्रा तट ऊखर शिव भूमि।

महाकाल वन पावन भूमि॥

आशुतोष भोले भण्डारी।

नटराज बाघम्बरधारी॥

सृष्टि को प्रारम्भ कराते।

कालचक्र को आप चलाते॥

तीर्थ अवन्ती में हैं बसते।

 दर्शन करते संकट हरते॥

विष पीकर शिव निर्भय करते।

 नीलकण्ठ महाकाल कहाते॥

महादेव ये महाकाल हैं।

निराकार का रूप धरे हैं॥

ज्योतिर्मय-ईशान अधीश्वर।

परम् ब्रह्म हैं महाकालेश्वर॥

आदि सनातन-स्वयं ज्योतिश्वर।

 महाकाल प्रभु हैं सर्वेश्वर॥

जय महाकाल महेश्वर जय-जय।

जय हरसिद्धि महेश्वरी जय-जय॥

शिव के साथ शिवा है शक्ति।

भक्तों की है रक्षा करती॥

जय नागेश्वर-सौभाग्येश्वर।

 जय भोले बाबा सिद्धेश्वर॥

ऋणमुक्तेश्वर-स्वर्ण जालेश्वर।

अरुणेश्वर बाबा योगेश्वर॥

पंच-अष्ट-द्वादश लिंगों की।

महिमा सबसे न्यारी इनकी॥

श्रीकर गोप को दर्शन दे तारी।

नंद बाबा की पीढ़ियाँ सारी॥

भक्त चंद्रसेन राजा शरण आए।

विजयी करा रिपु-मित्र बनाये॥

दैत्य दूषण भस्म किए।

और भक्तों से महाकाल कहाए॥

दुष्ट दैत्य अंधक जब आया।

 मातृकाओं से नष्ट कराया॥

जगज्जननी हैं माँ गिरि तनया।

 श्री भोलेश्वर ने मान बढ़ाया॥

श्री हरि की तर्जनी से हर-हर।

 क्षिप्रा भी लाए गंगाधर॥

अमृतमय पावन जल पाया।

ऋषि देवों ने पुण्य बढ़ाया॥

नमः शिवाय मंत्र पंचाक्षरी।

 इनका मंत्र बड़ा भयहारी॥

जिसके जप से मिटती सारी।

चिंता-क्लेश-विपद् संसारी॥

सिर जटा-जूट-तन भस्म सजै।

 डम-डम-डमरू त्रिशूल सजै॥

शमशान विहारी भूतपति।

विषधर धारी जय उमापति॥

रुद्राक्ष विभूषित शिवशंकर।

त्रिपुण्ड विभूषित प्रलयंकर॥

सर्वशक्तिमान-सर्व गुणाधार।

सर्वज्ञ-सर्वोपरि-जगदीश्वर॥

अनादि-अनंत-नित्य-निर्विकारी।

 महाकाल प्रभु-रूद्र-अवतारी॥

धाता-विधाता-अज-अविनाशी।

मृत्यु रक्षक सुखराशी॥

त्रिदल-त्रिनेत्र-त्रिपुण्ड-त्रिशूलधर।

त्रिकाय-त्रिलोकपति महाकालेश्वर॥

त्रिदेव-त्रयी हैं एकेश्वर।

निराकार शिव योगीश्वर॥

एकादश-प्राण-अपान-व्यान।

उदान-नाग-कुर्म-कृकल समान॥

देवदत्त धनंजय रहें प्रसन्न।

मन हो उज्जवल जब करें ध्यान॥

अघोर-आशुतोष-जय औढरदानी।

अभिषेक प्रिय श्री विश्वेश्वर ध्यानी॥

कल्याणमय-आनंद स्वरुप शशि शेखर।

श्री भोलेशंकर जय महाकालेश्वर॥

प्रथम पूज्य श्री गणेश हैं, ऋद्धि-सिद्धि संग।

देवों के सेनापति, महावीर स्कंध॥

अन्नपूर्णा माँ पार्वती, जग को देती अन्न।

महाकाल वन में बसे, महाकाल के संग॥

॥ दोहा ॥

शिव कहें जग राम हैं

 राम कहें जग शिव,

धन्य-धन्य माँ शारदा,

ऐसी ही दो प्रीत।

श्री महाकाल चालीसा,

प्रेम से, नित्य करे जो पाठ,

कृपा मिले महाकाल की,

 सिद्ध होय सब काज॥

॥ दोहा ॥

श्री महाकाल भगवान की महिमा अपरम्पार,

पूरी करते कामना भक्तों की करतार।

विद्या-बुद्धि-तेज-बल-दूध-पूत-धन-धान,

अपने अक्षय कोष से भगवान करो प्रदान॥

॥ चौपाई ॥

जय महाकाल काल के नाशक।

जय त्रिलोकपति मोक्ष प्रदायक॥

मृत्युंजय भवबाधा हारी।

शत्रुंजय करो विजय हमारी॥

आकाश में तारक लिंगम्।

पाताल में हाटकेश्वरम्॥

भूलोक में महाकालेश्वरम्।

सत्यम्-शिवम् और सुन्दरम्॥

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महाकाल के मंदिर की बात करें तो उज्जैन का नाम सबसे पहले आता है। महाकालेश्वर मंदिर, जो कि उज्जैन के शहर में स्थित है, भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां आने वाले लोग सिर्फ भक्ति और श्रद्धा से भरे हुए हैं, परममंदिर की महिमा को महसूस करने के लिए। महाकाल की मूर्ति के आगे झुके हुए भक्तों की तस्वीर, उनकी श्रद्धा को दर्शाती है। हर दिन अनंत भक्तों का यहां आना, शिव की पूजा करके उनकी आराधना करना, एक अनोखा अनुभव है। हर साल महाशिवरात्रि पर यहां लाखों लोग शिव की कृपा और आशीर्वाद के लिए जामा होते हैं।

क्षिप्रा तट ऊखर शिव भूमि।
महाकाल वन पावन भूमि॥

आशुतोष भोले भण्डारी।
नटराज बाघम्बरधारी॥

सृष्टि को प्रारम्भ कराते।
कालचक्र को आप चलाते॥

तीर्थ अवन्ती में हैं बसते।
दर्शन करते संकट हरते॥

विष पीकर शिव निर्भय करते।
नीलकण्ठ महाकाल कहाते॥

महादेव ये महाकाल हैं।
निराकार का रूप धरे हैं॥

ज्योतिर्मय-ईशान अधीश्वर।
परम् ब्रह्म हैं महाकालेश्वर॥

आदि सनातन-स्वयं ज्योतिश्वर।
महाकाल प्रभु हैं सर्वेश्वर॥
महाकाल का दर्शन करने के बाद लोग अपने जीवन में एक अलग ही शक्ति का एहसास करते हैं। महाकाल का नाम लेना, उनकी आराधना करना, एक विशेष अनुभव है। ये एक ऐसा तीर्थ स्थल है जहां मन को शांति और आत्मा को पवित्रता मिलती है।

mahakal chalisa pdf
mahakal chalisa pdf (image credit to social media)

महाकाल की भक्ति में जो मिठास और प्रेम है, वो किसी और चीज़ में नहीं। उनकी भक्ति में इंसान अपने आप को भूल जाता है और शिव की दिव्य शक्ति में समा जाता है। महाकाल का नाम सुनते ही दिमाग में एक अलग ही धुन छा जाती है, जैसे कि एक अनोखा सा ध्यान और प्रेम। महाकाल की भक्ति में खो कर, इंसान अपने जीवन को पवित्रता और सच्चाई से भर देता है।

जय महाकाल महेश्वर जय-जय।
जय हरसिद्धि महेश्वरी जय-जय॥

शिव के साथ शिवा है शक्ति।
भक्तों की है रक्षा करती॥

जय नागेश्वर-सौभाग्येश्वर।
जय भोले बाबा सिद्धेश्वर॥

ऋणमुक्तेश्वर-स्वर्ण जालेश्वर।
अरुणेश्वर बाबा योगेश्वर॥

महाकाल पूजा का महत्व भारतीय संस्कृति में अतिशय है। ये पूजा महा शिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव का विशेष समर्पण है। महाकाल, जो भगवान शिव का एक रूप है, उसकी आराधना करना भक्तों के लिए पवित्र और महत्वपूर्ण होता है। महाकाल पूजा का आरंभ भगवान शिव के प्रकट होने की तिथि, जो कि महा शिवरात्रि है, से होती है। इस दिन भक्तों द्वारा महाकाल की मूर्ति या शिवलिंग को जल, दूध, दही, शहद, घी, बिल्व पत्र और चंदन के रूप में अभिषेक किया जाता है। भक्तों की ये क्रिया उनकी भक्ति और श्रद्धा को दर्शाती है।

जगज्जननी हैं माँ गिरि तनया।
श्री भोलेश्वर ने मान बढ़ाया॥

श्री हरि की तर्जनी से हर-हर।
क्षिप्रा भी लाए गंगाधर॥

अमृतमय पावन जल पाया। ‘
ऋषि’ देवों ने पुण्य बढ़ाया॥


महाकाल पूजा में हवन और मंत्र जाप भी किया जाता है, जैसे शिव भक्त अपने मन में शांति और समृद्धि को अनुभव करते हैं। महाकाल की पूजा में भक्तों के मन में शिव भक्ति का आनंद और प्रेम भर जाता है। क्या पूजा में भक्त शिव भगवान को प्रार्थना करते हैं कि वे उनके जीवन में संकट और विपत्ति से रक्षा करें और उन्हें सदबुद्धि दें।

महाकाल पूजा एक ऐसा अवसर है जहां भक्तों का मन शिव भक्ति और प्रेम में डूब जाता है। महाकाल पूजा के दिन भक्तों की श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से उनके जीवन में खुशी और समृद्धि आती है। क्या पूजा को मनाने से भक्तों को मन की शांति और आंतरिक आनंद प्राप्त होता है। सामान्य शब्दों में कहा जाए तो, महाकाल पूजा एक ऐसा अवसर है जहां भक्तों का मन शिव भक्ति और प्रेम में डूब जाता है। इस दिन को मनाने से भक्तों को मन की शांति और अंतरिक्ष आनंद प्राप्त होता है।


नमः शिवाय मंत्र पंचाक्षरी।
इनका मंत्र बड़ा भयहारी॥

जिसके जप से मिटती सारी।
चिंता-क्लेश-विपद् संसारी॥

सिर जटा-जूट-तन भस्म सजै।
डम-डम-डमरू त्रिशूल सजै॥

शमशान विहारी भूतपति।
विषधर धारी जय उमापति॥

रुद्राक्ष विभूषित शिवशंकर।
त्रिपुण्ड विभूषित प्रलयंकर॥

सर्वशक्तिमान-सर्व गुणाधार।
सर्वज्ञ-सर्वोपरि-जगदीश्वर॥

अनादि-अनंत-नित्य-निर्विकारी।
महाकाल प्रभु-रूद्र-अवतारी॥

धाता-विधाता-अज-अविनाशी।
मृत्यु रक्षक सुखराशी॥

निर्धारित आकार नहीं है, और होकर
त्रिदल-त्रिनेत्र-त्रिपुण्ड-त्रिशूलधर।
त्रिकाय-त्रिलोकपति महाकालेश्वर॥

त्रिदेव-त्रयी हैं एकेश्वर।
निराकार शिव योगीश्वर॥

एकादश-प्राण-अपान-व्यान।
उदान-नाग-कुर्म-कृकल समान॥

देवदत्त धनंजय रहें प्रसन्न।
मन हो उज्जवल जब करें ध्यान॥


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